मंगळवार, ३१ मे, २०११

शायरी...!?!



निलाम कर दिया रिश्ते नातोंको तो हमने जिन्दगी पाई...


आंधी तूफाँमें ठुकरा दी जिन्दगी तो हमने खुदी पाई...!


दांवपें लगा दिया खुदिको तो हमने बेखुदी पायी...


सिर-आंखोपर किया बेखुदी को तो हमने शायरी पाई...!

गुरुवार, २६ मे, २०११

मर्म...!?!



वठलेल्या वृक्षाच्या मुळाशीही


सापडते कशी ही ओल...


मृत्यूचे गूढ़ तर कायम


जगण्याचे मर्म ही खोल...!

बुधवार, २५ मे, २०११

चक्रव्यूह...?!?



नेहमीच काही लिहितांना

शब्दांसाठी अडू नये...

विचारांच्या चक्रव्यूहात

मनाने तरी पडू नये...!

मंगळवार, २४ मे, २०११

अहं...!?!



स्वाभिमानशुन्य या जगात

फक्त लाचारीला मुभा आहे...

पंगुंच्या चक्रव्युहात पुन्हा


एक अभिमन्यु उभा आहे...

सोमवार, २३ मे, २०११

गुफ्तगू...!?!




हर पलमें प्यार है हर पलमें ख़ुशी है...


खो दो तो यादें है जी लो तो जिंदगी है...!


जर्रे जर्रे में खुदा है हर घडी इबादत है...


न मानो तो काफिरी है करलो तो बंदगी है...!

रविवार, २२ मे, २०११

धुळेकर...!?!







वो स्वस्तिक चौक की शाम, वो पंकजका जाम...



वो पांझराका किनारा, वो गणपतिपूलसे नझारा...



वो पढ़ायीका बहाना, वो किशोरदाका गाना...



वो ललकार की पिव्वर, वो गरुड़ लायब्ररी के चक्कर...



वो कौमर्सकी लड़कियां, वो गर्बेकी झलकियाँ...



वो होलिकी मस्ती, वो जुनेधुलेकी बस्ती...



वो आगरा रोड्की वॉकिंग, वो पाँचकंदिलकी शौपिंग...



वो भजनशेठका खाना, वो छतपे दिल निचोड़ना...



वो भैयाकी पानीपूरी, वो एसटी स्टैंडपे रात गुजारी...



वो मेलेमे मिली लडकी, वो हमेशाकी कडकी...



वो धुलियांकी बातें, वो MH18 की वारदातें...



भुलाये नहीं भूलते वो बेखुदिके दिन और बेहकिहूईं रातें...



यादोंको दिलमें बसाये रखना धूलियासे रिश्ता बनाये रखना...



- अमुक भारतीय (पूर्वीचे धुळेकर)